यदिआपकेघरमेंआपकोएकभीचूहानज़रआजाएतोआपबेचैनहोउठेंगे।आपउसकोअपनेघरसेभगानेकीतमामतरकीबेलगाएंगेक्योकिचूहोंकोप्लेगजैसीकईभयानकबीमारियोंकाकारणमानाजाताहै।लेकिनक्याआपकोपताहैकीहमारेदेशभारतमेंमाताकाएकऐसामंदिरभीहैजहाँपर20000चूहेरहतेहैऔरमंदिरमेंआनेवालोभक्तोकोचूहोंकाझूठाकियाहुआप्रसादहीमिलताहै।
आश्चर्यकीबातयहहैकीइतनेचूहेहोनेकेबादभीमंदिरमेंबिल्कुलभीबदबूनहींहै,आजतककोईभीबीमारीनहींफैलीहैयहाँतककीचूहोंकाझूठाप्रसादखानेसेकोईभीभक्तबीमारनहींहुआहै।इतनाहीनहींजबआजसेकुछदशकोपूर्वपुरेभारतमेंप्लेगफैलाथातबभीइसमंदिरमेंभक्तोकामेलालगारहताथाऔरवोचूहोंकाझूठाकियाहुआप्रसादहीखातेथे।यहहैराजस्थानकेऐतिहासिकनगरबीकानेरसेलगभग30किलोमीटरदूरदेशनोकमेंस्तिथकरणीमाताकामंदिरजिसेचूहोंवालीमाता,चूहोंवालामंदिरऔरमूषकमंदिरकेनामसेभीजानाजाताहै।
करणीमाता,जिन्हेकीभक्तमाँजगदम्बाकाअवतारमानतेहै,काजन्म1387मेंएकचारणपरिवारमेंहुआथा।उनका बचपन का नाम रिघुबाई था।रिघुबाईकीशादीसाठिकागाँवकेकिपोजीचारणसेहुईथीलेकिनशादीकेकुछसमयबादहीउनकामनसांसारिकजीवनसेऊबगयाइसलिएउन्होंनेकिपोजीचारणकीशादीअपनीछोटीबहनगुलाबसेकरवाकरखुदकोमाताकीभक्तिऔरलोगोंकीसेवामेंलगादिया।
जनकल्याण,अलौकिककार्यऔरचमत्कारिकशक्तियोंकेकारणरिघुबाईकोकरणीमाताकेनामसेस्थानीयलोगपूजनेलगे।वर्तमानमेंजहाँयहमंदिरस्तिथहैवहांपरएकगुफामेंकरणीमाताअपनीइष्टदेवीकीपूजाकियाकरतीथी।यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्तिथ है।कहतेहैकरनीमाता151वर्षजिन्दारहकर23मार्च1538कोज्योतिर्लिनहुईथी।उनकेज्योतिर्लिंहोनेकेपश्चातभक्तोंनेउनकीमूर्तिकीस्थापनाकरकेउनकीपूजाशुरूकरदीजोकीतबसेअबतकनिरंतरजारीहै।
राजा गंगा सिंह ने करवाया था मंदिर का निर्माण:
करणी माता बीकानेर राजघराने की कुलदेवी है।कहतेहैकीउनकेहीआशीर्वादसेबीकानेरऔरजोधपुररियासतकीस्थापनाहुईथी।करणीमाताकेवर्तमानमंदिरकानिर्माणबीकानेररियासतकेमहाराजागंगासिंहनेबीसवीशताब्दीकेशुरुआतमेंकरवायाथा।इसमंदिरमेंचूहोंकेअलावा,संगमरमरकेमुख्यद्वारपरकीगईउत्कृष्टकारीगरी,मुख्यद्वारपरलगेचांदीकेबड़ेबड़ेकिवाड़,माताकेसोनेकेछत्रऔरचूहोंकेप्रसादकेलिएरखीचांदीकीबहुतबड़ीपरातभीमुख्यआकर्षणहै।
यदिहमचूहोंकीबातकरेतोमंदिरकेअंदरचूहोंकाएकछत्रराजहै।मदिरकेअंदरप्रवेशकरतेहीहरजगहचूहेहीचूहेनज़रआतेहै।चूहोंकीअधिकताकाअंदाजाइसीबातसेलगायाजासकताहैकीमंदिरकेअंदरमुख्यप्रतिमातकपहुंचनेकेलिएआपकोअपनेपैरघसीटतेहुएजानापड़ताहै।क्योकियदिआपपैरउठाकररखतेहैतोउसकेनीचेआकरचूहेघायलहोसकतेहैजोकीअशुभमानाजाताहै।इसमंदिरमेंकरीबबीसहज़ारकालेचूहोंकेसाथकुछसफ़ेदचूहेभीरहतेहै।इस चूहों को ज्यादा पवित्र माना जाता है।मान्यताहैकीयदिआपकोसफ़ेदचूहादिखाईदेगयातोआपकीमनोकामनाअवश्यपूर्णहोगी।
इसमंदिरोकेचूहोंकीएकविशेषताऔरहैकीमंदिरमेंसुबह5बजेहोनेवालीमंगलाआरतीऔरशामको7बजेहोनेवालीसंध्याआरतीकेवक़्तअधिकांशचूहेअपनेबिलोसेबाहरआजातेहै।इनदोवक़्तचूहोंकीसबसेज्यादाधामाचौकड़ीहोतीहै।यहांपररहनेवालेचूहोंकोकाबाकहाजाताकहांजाताहै।माँकोचढ़ायेजानेवालेप्रसादकोपहलेचूहेखातेहैफिरउसेबाटाजाताहै।चील,गिद्धऔरदूसरेजानवरोसेइनचूहोंकीरक्षाकेलिएमंदिरमेंखुलेस्थानोपरबारीकजालीलगीहुईहै।
करणी माता के बेटे माने जाते है चूहे:
करणीमातामंदिरमेंरहनेवालेचूहेमाँकीसंतानमानेजातेहैकरनीमाताकीकथाकेअनुसारएकबारकरणीमाताकासौतेलापुत्र(उसकीबहनगुलाबऔरउसकेपतिकापुत्र)लक्ष्मण,कोलायतमेंस्तिथकपिलसरोवरमेंपानीपीनेकीकोशिशमेंडूबकरमरगया।जबकरणीमाताकोयहपताचलातोउन्होंने,मृत्युकेदेवतायामकोउसेपुनःजीवितकरनेकीप्राथनाकी।पहलेतोयमराज़नेमनकियापरबादमेंउन्होंनेविवशहोकरउसेचूहेकेरूपमेंपुनर्जीवितकरदिया।
हालॉकिबीकानेरकेलोकगीतोंमेंइनचूहोंकीएकअलगकहानीभीबताईजातीहैजिसकेअनुसारएकबार20000सैनिकोंकीएकसेनादेशनोकपरआकर्मणकरनेआईजिन्हेमातानेअपनेप्रतापसेचूहेबनादियाऔरअपनीसेवामेंरखलिया।