हिंदूधर्ममेंमंदिरजानेऔरपूजनकरनेकाविशेषमहत्वमानागयाहै।कहते हैं मंदिर जाने से मन को शांति मिलती हैं।साथही,मनोकामनाएंभीपूरीहोतीहैं,लेकिनकुछमंदिरऐसेभीहैं,जोसिर्फमनोकामनापूरीकरनेकेलिएहीनहीं,बल्किअपनीकिसीअनोखीयाचमत्कारिकविशेषताकेकारणभीजानेजातेहैं।आजहमआपकोबतानेजारहेहैंभारतके5ऐसेहीप्राचीनमंदिरोंकेबारेमेंजिनसेजुड़ीचमत्कारिकबातोंकोकोईमानेयानमाने,लेकिनइनकीयेखासविशेषताएंकिसीकोभीसोचनेपरमजबूरकरदेतीहै।
1.कामाख्यादेवीमंदिर,गुवाहाटी(卡马加Devi寺庙,古瓦哈蒂):-
कामाख्यामंदिरअसमकेगुवाहाटीरेलवेस्टेशनसे10किलोमीटरदूरनीलांचलपहाड़ीपरस्थितहै।यह मंदिर देवी कामाख्या को समर्पित है।कामाख्या शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठों में से एक है।कहा जाता है सती का योनिभाग कामाख्या में गिरा।उसी स्थल पर कामाख्या मन्दिर का निर्माण किया गया।
इसमंदिरमेंप्रतिवर्षअम्बुबाचीमेलेकाआयोजनकियाजाताहै।इसमेंदेशभरकेतांत्रिकऔरअघोरीहिस्सालेतेहैं।मानाजाताहैकिसालभरमेंएकबारअम्बुबाचीमेलेकेदौरानमांकामाख्यारजस्वलाहोतीहैंऔरइनतीनदिनमेंयोनिकुंडसेजलप्रवाहकिजगहरक्तप्रवाहहोताहै।इसलिएअम्बुबाचीमेलेकोकामरूपोंकाकुंभकहाजाताहै।
2.कालभैरवमंदिर,मध्यप्रदेश(Kaal bhairav寺庙,中央邦):-
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से करीब 8 कि.मी。दूर कालभैरव मंदिर स्थित है।भगवानकालभैरवकोप्रसादकेतौरपरकेवलशराबहीचढ़ाईजातीहै।शराबसेभरेप्यालेकालभैरवकीमूर्तिकेमुंहसेलगानेपरवहदेखतेहीदेखतेखालीहोजातेहैं।मंदिरकेबाहरभगवानकालभैरवकोचढ़ानेकेलिएदेसीशराबकीआठसेदसदुकानेंलगीहैं।
मंदिरमेंशराबचढ़ानेकीगाथाभीबेहददिलचस्पहै।यहांकेपुजारीबतातेहैंकिस्कंदपुराणमेंइसजगहकेधार्मिकमहत्वकाजिक्रहै।इसकेअनुसार,चारोंवेदोंकेरचयिताभगवानब्रह्मानेजबपांचवेंवेदकीरचनाकाफैसलाकिया,तोउन्हेंइसकामसेरोकनेकेलिएदेवताभगवानशिवकीशरणमेंगए।ब्रह्मा जी ने उनकी बात नहीं मानी।इसपरशिवजीनेक्रोधितहोकरअपनेतीसरेनेत्रसेबालकबटुकभैरवकोप्रकटकिया।
इसउग्रस्वभावकेबालकनेगुस्सेमेंआकरब्रह्माजीकापांचवांमस्तककाटदिया।इससेलगेब्रह्महत्याकेपापकोदूरकरनेकेलिएवहअनेकस्थानोंपरगए,लेकिनउन्हेंमुक्तिनहींमिली।तब भैरव ने भगवान शिव की आराधना की।शिवनेभैरवकोबतायाकिउज्जैनमेंक्षिप्रानदीकेतटपरओखरश्मशानकेपासतपस्याकरनेसेउन्हेंइसपापसेमुक्तिमिलेगी।तभी से यहां काल भैरव की पूजा हो रही है।कालांतर में यहां एक बड़ा मंदिर बन गया।
3.करणीमातामंदिर,राजस्थान(马塔寺庙,拉贾斯坦邦):-
करणीमातामंदिरराजस्थानमेंबीकानेरसेकुछदूरीपरदेशनोकनामकस्थानपरहै।यह स्थान मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।इसमंदिरकीविशेषतायहहैकियहांभक्तोंसेज्यादाकालेचूहेनजरआतेहैं।इनकेबीचअगरकहींसफेदचूहादिखजाएतोसमझेंकिमनोकामनापूरीहोजाएगी।यही यहां की मान्यता है।
वैसे, इसे चूहों को काबा भी कहा जाता है।चूहों को भक्त दूध, लड्डू आदि देते हैं।आश्चर्यजनकबातयहभीहैकिअसंख्यचूहोंसेपटेमंदिरसेबाहरकदमरखतेहीएकभीचूहानजरनहींआता।इस मंदिर के भीतर कभी बिल्ली प्रवेश नहीं करती है।कहातोयहभीजाताहैकिजबप्लेगजैसीबीमारीनेअपनाआतंकदिखायाथा,तबयहमंदिरहीनहीं,बल्कियहपूराइलाकाइसबीमारीसेमहफूजथा।
4.ज्वालादेवीमंदिर,हिमाचलप्रदेश(Jwala devi寺庙,喜马偕尔邦):-
हिमाचलप्रदेशकेकांगड़ाजिलेमेंकालीधारपहाड़ीकेबीचबसाहैज्वालादेवीकामंदिर।शास्त्रों के अनुसार, यहां सती की जिह्वा गिरी थी।मान्यताहैकिसभीशक्तिपीठोंमेंदेवीहमेशानिवासकरतीहैं।शक्तिपीठमेंमाताकीआराधनाकरनेसेमाताजल्दीप्रसन्नहोतीहै।ज्वालादेवीमंदिरमेंसदियोंसेबिनातेल——बातीकेप्राकृतिकरूपसेनौज्वालाएंजलरहीहैं।
नौज्वालाओंमेंप्रमुखज्वालाचांदीकेजालाकेबीचस्थितहै,उसेमहाकालीकहतेहैं।अन्यआठज्वालाओंकेरूपमेंमांअन्नपूर्णा,चंडी,हिंगलाज,विन्ध्यवासिनी,महालक्ष्मी,सरस्वती,अम्बिकाएवंअंजीदेवीज्वालादेवीमंदिरमेंनिवासकरतीहैं।
कथाहैकिमुगलबादशाहअकबरनेज्वालादेवीकीशक्तिकाअनादरकियाऔरमांकीतेजोमयज्वालाकोबुझानेकाहरसंभवप्रयासकिया,लेकिनवहअपनेप्रयासमेंअसफलरहा।अकबरकोजबज्वालादेवीकीशक्तिकाआभासहुआ,तोक्षमामांगनेकेलिएउसनेज्वालादेवीकोसवामनसोनेकाछत्रचढ़ाया।
5.मेंहदीपुरबालाजी,राजस्थान(Mehandipur巴拉,拉贾斯坦邦):-
राजस्थानमेंमेंहदीपुरबालाजीकामंदिरश्रीहनुमानकाबहुतजाग्रतस्थानमानाजाताहै।लोगोंकाविश्वासहैकिइसमंदिरमेंविराजितश्रीबालाजीअपनीदैवीयशक्तिसेबुरीआत्माओंसेछुटकारादिलातेहैं।मंदिरमेंहजारोंभूत——पिशाचसेत्रस्तलोगप्रतिदिनदर्शनऔरप्रार्थनाकेलिएयहांआतेहैं,जिन्हेंस्थानीयलोगसंकटवालाकहतेहैं।भूतबाधासेपीड़ितकेलिएयहमंदिरअपनेहीघरकेसमानहोजाताहैऔरश्रीबालाजीहीउसकीअंतिमउम्मीदहोतेहैं।
यहांकईलोगोंकोजंजीरसेबंधाऔरउल्टेलटकेदेखाजासकताहै।यहमंदिरऔरइससेजुड़ेचमत्कारदेखकरकोईभीहैरानहोसकताहै।शामकेसमयजबबालाजीकीआरतीहोतीहैतोभू——पत्रेतसेपीड़ितलोगोंकोजुझतेदेखाजाताहैऔरआरतीकेबादलोगमंदिरकेगर्भगृहमेंजातेहैं।वहांकेपुरोहितकुछउपायकरतेहैंऔरकहाजाताहैइसकेबादपीड़ितव्यक्तिस्वस्थहोजाताहै।