मैहर देवी मंदिर: ये है माँ शारदा का इकलौता मंदिर

कहतेहैंमांहमेशाऊंचेस्थानोंपरविराजमानहोतीहैं।उत्तरमेंजैसेलोगमांदुर्गाकेदर्शनकेलिएपहाड़ोंकोपारकरतेहुएवैष्णोदेवीतकपहुंचतेहैं।ठीकउसीतरहमध्यप्रदेशकेसतनाजिलेमेंभी1063सीढ़ियांलांघकरमाताकेदर्शनकरनेजातेहैं।सतनाजिलेकीमैहरतहसीलकेपासत्रिकूटपर्वतपरस्थितमाताकेइसमंदिरकोमैहरदेवीकामंदिरकहाजाताहै।मैहर का मतलब है मां का हार।

मैहरनगरीसे5किलोमीटरदूरत्रिकूटपर्वतपरमाताशारदादेवीकावासहै।पर्वतकीचोटीकेमध्यमेंहीशारदामाताकामंदिरहै।पूरेभारतमेंसतनाकामैहरमंदिरमाताशारदाकाअकेलामंदिरहै।इसीपर्वतकीचोटीपरमाताकेसाथहीश्रीकालभैरवी,भगवान,हनुमानजी,देवीकाली,दुर्गा,श्रीगौरीशंकर,शेषनाग,फूलमतिमाता,ब्रह्मदेवऔरजलापादेवीकीभीपूजाकीजातीहै।

क्षेत्रीयलोगोंकेअनुसारअल्हाऔरउदलजिन्होंनेपृथ्वीराजचौहानकेसाथयुद्धकियाथा,वेभीशारदामाताकेबड़ेभक्तहुआकरतेथे।इनदोनोंनेहीसबसेपहलेजंगलोंकेबीचशारदादेवीकेइसमंदिरकीखोजकीथी।इसकेबादआल्हानेइसमंदिरमें12सालोंतकतपस्याकरदेवीकोप्रसन्नकियाथा।माता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था।

आल्हा माता को शारदा माई कह कर पुकारा करता था।तभीसेयेमंदिरभीमाताशारदामाईकेनामसेप्रसिद्धहोगया।आजभीयहीमान्यताहैकिमाताशारदाकेदर्शनहरदिनसबसेपहलेआल्हाऔरउदलहीकरतेहैं।मंदिरकेपीछेपहाड़ोंकेनीचेएकतालाबहै,जिसेआल्हातालाबकहाजाताहै।यहीनहीं,तालाबसे2किलोमीटरऔरआगेजानेपरएकअखाड़ामिलताहै,जिसकेबारेमेंकहाजाताहैकियहांआल्हाऔरउदलकुश्तीलड़ाकरतेथे।

क्या है मंदिर से जुड़ी कहानी:-

मानाजाताहैकिदक्षप्रजापतिकीपुत्रीसतीशिवसेविवाहकरनाचाहतीथी।उनकी यह इच्छा राजा दक्ष को मंजूर नहीं थी।वे शिव को भूतों और अघोरियों का साथी मानते थे।फिरभीसतीनेअपनीजि़दपरभगवानशिवसेविवाहकरलिया।एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया।उसयज्ञमेंब्रह्मा,विष्णु,इंद्रऔरअन्यदेवी——देवताओंकोआमंत्रितकिया,लेकिनजान——बूझकरअपनेजमाताभगवानशंकरकोनहींबुलाया।शंकरजीकीपत्नीऔरदक्षकीपुत्रीसतीइससेबहुतआहतहुईं।

यज्ञ——स्थलपरसतीनेअपनेपितादक्षसेशंकरजीकोआमंत्रितनकरनेकाकारणपूछा।इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे।इसअपमानसेदुखीहोकरसतीनेयज्ञ——अग्निकुंडमेंकूदकरअपनीप्राणाहुतिदेदी।भगवानशंकरकोजबइसदुर्घटनाकापताचला,तोक्रोधसेउनकातीसरानेत्रखुलगया।

उन्होंनेयज्ञकुंडसेसतीकेपार्थिवशरीरकोनिकालकरकंधेपरउठालियाऔरगुस्सेमेंतांडवकरनेलगे।ब्रह्मांडकीभलाईकेलिएभगवानविष्णुनेहीसतीकेशरीरको52भागोंमेंविभाजितकरदिया।जहांभीसतीकेअंगगिरे,वहांशक्तिपीठोंकानिर्माणहुआ।अगलेजन्ममेंसतीनेहिमवानराजाकेघरपार्वतीकेरूपमेंजन्मलियाऔरघोरतपस्याकरशिवजीकोफिरसेपतिरूपमेंप्राप्तकिया।

माना जाता है कि यहां मां का हार गिरा था।हालांकि, सतना का मैहर मंदिर शक्ति पीठ नहीं है।फिरभीलोगोंकीआस्थाइतनीअडिगहैकियहांसालोंसेमाताकेदर्शनकेलिएभक्तोंकारेलालगारहताहै।

कैसे पहुंचे मंदिर:-

राजधानीदिल्लीसेमैहरतककीसड़कसेदूरीलगभग1000किलोमीटरहै।ट्रेनसेपहुंचनेकेलिएमहाकौशलवरीवाएक्सप्रेसउपयुक्तहैं।दिल्लीसेचलनेवालीमहाकौशलएक्सप्रेससीधेमैहरहीपहुंचतीहै।स्टेशनसेउतरनेकेबादकिसीधर्मशालायाहोटलमेंथोड़ाविश्रामकरनेकेबादचढ़ाईआरंभकीजासकतीहै।रीवाएक्सप्रेससेयात्राकरनेवालेभक्तजनोंकोमजगांवांपरउतरनाचाहिए।वहां से मैहर लगभग 15 किलोमीटर दूर है।

त्रिकूटपर्वतपरमैहरदेवीकामंदिरभू——तलसेछहसौफीटकीऊंचाईपरस्थितहै।मंदिरतकजानेवालेमार्गमेंतीनसौफीटतककीयात्रागाड़ीसेभीकीजासकतीहै।मैहरदेवीमांशारदातकपहुंचनेकीयात्राकोचारखंडोंमेंविभक्तकियाजासकताहै।प्रथमखंडकीयात्रामेंचारसौअस्सीसीढ़ियोंकोपारकरनाहोताहै।

मंदिरकेसबसेनिकटत्रिकूटपर्वतसेसटामंगलनिकेतनबिड़लाधर्मशालाहै।इसके पास से ही येलजी नदी बहती है।द्वितीय खंड 228 सीढ़ियों का है।इसयात्राखंडमेंपानीवअन्यपेयपदार्थोंकाप्रबंधहै।यहां पर आदिश्वरी माई का प्राचीन मंदिर है।यात्राकेतृतीयखंडमेंएकसौसैंतालीससीढ़ियांहैं।चौथेऔरअंतिमखंडमें196सीढ़ियांपारकरनीहोतीहैं।तब मां शारदा का मंदिर आता है।







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