इतनीकमलागतमेंबनीथीलखनऊकीवर्ल्डफेमसभूलभुलैया

जिनइमारतोंकोबनानेमेंकरोड़ोंखर्चहोजातेहैंफिरभीवहवर्ल्डफेमसनहींहोपाती।मगर10लाखकीकीमतसेलखनऊमेंबनीयहइमारतवर्ल्डफेमसहै।इसइमारतकोदेखनेकेलिएहरसालहजारोंविदेशीपर्यटकशहरआतेहैं।यह इमारत लखनऊ की पहचान है।हम यहां बात कर रहे हैं बड़े इमामबाड़े की।इसहिस्टॉरिकलबिल्डिंगकोदेखेबिनाटूरिस्टकीलखनऊयात्राकम्पलीटनहींमानीजाती।आजहमआपकोवर्ल्डहेरिटेजवीकपरनवाबोंकीनगरीकेइसधरोहरकीकुछअनसुनीबातेंबतानेजारहेहैं।

इतिहासकारयोगेशप्रवीननेबतायाकिबड़ाइमामबाड़ाभूलभुलैयाकेनामसेभीफेमसहै।इस इमारत को नवाब आसिफउद्दौला ने बनवाया था।इमामबाड़ेकोबनानेकामकसदअकालऔरसूखेमेंरोटीकोतरसरहेलोगोंकोरोजगारदेनाथा।इस इमारत का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।

इसबिल्डिंगकानिर्माणआसिफउद्दौलाने1784मेंबनवायाथा।इसको बनाने में लगभग 10 लाख रुपए खर्च हुए थे।इसे अकाल राहत परियोजना के अंतर्गत बनाया था।इसकाविशालगुम्बदनुमाहाल50मीटरलम्बाऔर15मीटरऊंचाहै।ऐतिहासिकदस्तावेज़केमुताबिक,इसकोबनानेकेबादनवाबहरसालइसकीसाजसज्जापरपांचलाखरुपयेखर्चकरतेथे।

यहांघूमनेआनेवालेपर्यटकइसइमारतकेसभीहिस्सोंमेंघूमसकतेहैं,लेकिनयहांबनेमस्जिदमेंगैरमुस्लिमोंकेप्रवेशपरप्रतिबन्धलगायागयाहै।

बड़ेइमामबाड़ेमेंआनेवालेलोगहमेशाभूलभुलैयामेंगुमहोजातेहैं।इसे घूमने के लिए लोग गाइड का सहारा लेते हैं।भूलभुलैया में तीन बड़े कमरे हैं।इसकी दीवारों के छुपे हुए लम्बे गलियारे हैं।दीवारें लगभग 20 फ़ीट मोटी हैं।यह घनी और गहरी रचना भूलभुलैया कहलाती है।इसमें वे लोग जाते हैं, जिनका दिल मज़बूत है।इसभूलभुलैयामेंएकहजारसेअधिकछोटेछोटेरास्तोंकामकड़जालहै,जिसमेंकुछकेसिरेबंदहैं।

इमामबाड़ेकीदूसरीबड़ीविशेषताहैकिइसकाकेंद्रीयकक्षलकड़ी,लोहा,पत्थरकेबीमकेसहारेबनायागयाहै।यह विश्व की अपनी तरह की पहली इमारत है।यह हाल 50 मीटर लम्बा और 16 मीटर चौड़ा है।इसहालकीछतकोकिसीबीमयागर्डरकेउपयोगकेबिनाईंटकोआपसमेंजोड़करखड़ाकियागयाहै।यहांआनेवालेपर्यटकोंकोवास्तुकलाकाअद्भुतनज़ारादेखनेकोमिलताहै।

इमामबाड़े की बावड़ी पांच मंज़िला है।यहबावड़ीसीढ़ीदारकुंआहैजोपूर्वनवाबीयुगकीहै।शाही हमाम नामक यह बाबड़ी गोमती नदी से जुड़ी है।इसमेंपानीऊपरकेवलदोमंज़िलेहैं,शेषतलपानीकेअंदरपूरेसालडूबेरहतेहैं।







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